*एचआईवी एड्स पर कार्यशाला का हुआ आयोजन*
राजस्थान स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी, जयपुर द्वारा राजस्थान व नेहरू युवा केंद्र नागौर के सहयोग से एचआईवी एड्स विषयक आउट ऑफ स्कूल यूथ के लिए पियर लीडर मॉड्यूल पर एक दिवसीय क्षमतावर्धन कार्यशाला का आयोजन आज नागौर में किया गया। जिला युवा अधिकारी सुरमयी शर्मा ने बताया कि एचआईवी एड्स जागरूकता के लिए राजस्थान स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा नेहरू युवा केंद्र के माध्यम से राजस्थान के हर जिले में इन कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है जिसका उद्देश्य युवाओं में जागरूकता के साथ उनका पियर लीडर के रूप में निर्माण कर सभी में एचआईवी व एड्स के प्रति जो भ्रांतियां फैली हैं उनको मिटाना साथ ही इस बीमारी से पीड़ित लोगों के प्रति संवेदनशील व्यवहार अपनाना है।एचआईवी संक्रमण के पश्चात मानवीय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है।
एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका इसलिए ऐसी कार्यशालाओं का महत्व और बढ़ जाता है।साथी फाउण्डेशन के विजय जी ने बताया कि एचआईवी तीन चीजों से फैलता है पहला संक्रमित स्वत से, दूसरा संक्रमित माता-पिता से उनके शिशु में व तीसरा यौन संक्रमण से उन्होंने बताया कि नागौर में 47 गर्भवती मां है जिनके बच्चे नेगेटिव आए आप भी सभी को बताएं कि जैसे ही संक्रमण के लक्षण दिखें अपनी जांच कराये और एआरटी सेन्टर पर जाकर उपचार ले। डॉ. सरोज फगोडिया ने बताया कि एचआईवी एवं एड्स में यह फर्क है कि एच.आई.वी एक वायरस है जबकि एड्स एक बिमारी है जब एचआईवी कन्ट्रोल नही होता है तो यह एड्स बिमारी बन जाता है । 1950 में यह मनुष्य में डिटेक्ट किया, उन्होंने बताया कि जब यह एक एक्टर को हुआ तब इसके बाद समाज में जागरूकता की पहल हुई सोसायटी में इस पर गंभीरता के काम शुरू किया गया फिर भी वायरस के आने के 40 साल तक दवाई नहीं बनी क्योंकि यह वायरस बहुत तेजी से रूप बदलता है।
साथ ही वायरस के जेनेटिक मटेरियल आर.एन.ए. , एन्टीजन व एन्टीबॉडी , फलने के कारण के साथ ही इसकी टेस्टिंग के प्रकार व दुष्प्रभाव के बारे में बताया।
नर्सिंग ट्यूटर बालमुकद जी ने बताया कि एचआईवी कैसे पनपा व साथ ही बताया कि मां से बच्चे एचआईवी तीन तरीके से फेल सकता गर्भवस्था के दौरान प्रसव के समय एवं स्तनपान के समय। इसका सबसे ज्यादा खतरा प्रसव के दौरान रहता है। उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति असुरक्षित सुई या असुरक्षित यौन संपर्क में आ गया है तो तुरन्त बाद जाच करवाने पर यह पॉजिटिव नहीं आता है इसका तीन महीने का विंडो पिरियड होता है इसके बाद जांच करवाने पर यह पॉजिटिव आएगा साथ ही हाई रिस्क समुदाय में सेक्स वर्कर ट्रक ड्राइवर को शामिल किया।
एचआईवी कोर्डिनेटर जिला एड्स कन्ट्रोल सोसाइटी से सुनिल जी ने बताया कि एच आई वी एक लाइलाज बिमारी है जिसका बचाव ही उपचार है जिसके बारे में हमें सब को जागरूक करना है आजकल टेस्ट के माध्यम से बहुत जल्द पता चल जाता है कि व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित है या नहीं साथ ही अगर किसी को यह संक्रमण हो जाता है तो उसे सबसे पहले टीबी का खतरा होता है उसे टी.बी की जांच भी करवानी चाहिए।कार्यक्रम में पधारे नर्सिंग ट्यूटर भवरलाल जी ने भी जानकारी दी।कार्यक्रम के लेखा एवं कार्यक्रम सहायक प्रियंका कच्छ्छवाह द्वारा सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक हर्षुल पटेल, भूमिक गौड़, श्यामसुंदर, सुशील, ओमप्रकाश आदि थे।