नागौर,,,,, झांसी की रानी
महारानी लक्ष्मी बाई की 194 वीं जयंती मनाई
नागौर शहर में पहली बार लक्ष्मी बाई जयंती के अवसर पर निकाला गया पथ संचलन।
शारदा बाल निकेतन की छात्राओं द्वारा निकाला गया पथ संचलन ।
शहर के शारदा बाल निकेतन विद्यालय द्वारा आज झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की 194 जयंती के अवसर पर विद्यालय की छात्राओं द्वारा शहर के मुख्य मार्गो से पथ संचलन निकाला गया । यह पथ संचलन शारदा बाल निकेतन विद्यालय से प्रारंभ होकर राठौड़ी कुआं केशव दासजी का रामद्वारा भूतनाथ मंदिर नया दरवाजा बाड़ी कुवा नकाश गेट होते हुए नगर परिषद के पास स्थित एमडीएच पार्क में पहुंचकर समापन हुआ । मातृशक्ति द्वारा पहली बार निकले इस पथ संचलन का शहर में जगह-जगह स्वागत किया गया राठौड़ी कुआं मैं दुर्गा वाहिनी की राजेश्वरी सांखला तथा विनोद जोशी के नेतृत्व में पुष्प वर्षा की गई इसी प्रकार किसान छात्रावास के पास विश्व हिंदू परिषद तथा लघु उद्योग भारती एवं महंत जानकीदास महाराज द्वारा स्वागत किया गया दाल मिल के पास कमल जोशी के नेतृत्व में मोहल्ले वासियों ने तथा बाड़ी कुआं में दमयंती चौधरी के नेतृत्व में मातृशक्ति ने पुष्प वर्षा की इसी प्रकार नकाश गेट पर जितेंद्र गहलोत, प्रवीण, मधु गहलोत एवं मोहल्ले वासियों ने स्वागत सत्कार किया । इस पथ संचलन में विद्यालय की बालिकाएं घोष पर भारतीय रचना बजाकर तथा कदम से कदम मिलाकर संचलन में सहभागी बनी।
संचलन के प्रभारी विनोद जोशी ने बताया कि लक्ष्मी बाई की जयंती के अवसर पर 70 बालिकाओं ने महारानी लक्ष्मीबाई की वेशभूषा पहनकर तथा घोड़े पर सवार होकर हाथ में तलवार लेकर मातृशक्ति को संगठित होने का संदेश दिया। इस पथ संचलन में कुल 252 छात्राओं ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया प्रबंध समिति की व्यवस्थापक इंदु चौधरी अरुणा दहिया तथा मोना व्यास एवं प्रेमाराम गुरु ने भगवा झंडी दिखाकर संचलन को प्रारंभ किया । शहर में पहली बार हुए इस पथ संचलन में शहरवासियों में जबरदस्त उत्साह देखा गया।।
एमडीएच पार्क में समापन के अवसर पर विद्यालय प्रबंध समिति की अध्यक्ष सोहन कोर ने संबोधित करते हुए कहा कि आज हम सब महारानी लक्ष्मीबाई के जन्मोत्सव को मनाने के लिए एकत्रित हुई है भारत निर्माण में हम बालिकाओं का भी योगदान महत्वपूर्ण है हम सशक्त होकर समाज में परिवर्तन कर सकती हैं लक्ष्मीबाई ने भी अपने पुत्र को पीठ के पीछे बांधकर अंग्रेजों से लोहा लिया था उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत का खुलकर विरोध किया और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महानायिका बनी ,,मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी,,, यह कहते हुए अंग्रेजों के विरुद्ध मोर्चा खोला हमें भी आज की चुनौतियों को देखते हुए नारी को संगठित होने की अति आवश्यकता है तथा अपने सपनों को पंख देने हैं नारियों से ही देश आगे बढ़ेगा उन्होंने कहा कि अब समय दूर नहीं जब हम इस देश को जगत वंदनीय बनाने में पुरुषों के बराबर कदम से कदम मिलाकर अपना विकास करते हुए राष्ट्र विकास में सहयोगी बनेगी ।अरुणा दहिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया इस मौके पर लघु उद्योग भारती के भोजराज सारस्वत, विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष रामेश्वर सारस्वत, उपाध्यक्ष राधेश्याम, विद्या भारती की मंजू सारस्वत, धीरज, पूर्व छात्र परिषद के संरक्षक पंकज जोशी, सेवा भारती के पवन जोशी, पूर्व छात्र एवं पार्षद शिवकुमार राव, हेमंत टाक, लक्ष्मी देवी, मंजू गहलोत, रश्मि, मोनू, रेनू, निशा, कंचन, शिवाजी सारस्वत, वैभव, युवराज, वेद प्रकाश, प्रणव, सहित विद्यालय के आचार्य मीनाक्षी शर्मा, पल्लवी गहलोत, अंजू मारू, पुष्पा चौधरी, प्रियंका, कैलाशी चौधरी, पूजा डूकिया, रामगोपाल सेन, रेवंतराम मड़ासिया, सहित विद्यालय के पूर्व छात्र, छात्राएं प्रबंध समिति के कार्यकर्ता तथा अभिभावक गण एवं सभी आचार्य बंधु भगिनी मौजूद रहे ।।