*जैन साध्वियों को नम आंखों से दी विदाई*
*चातुर्मास समाप्ति के बाद हुआ विहार*
शहर के आदिनाथ मार्ग स्थित श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन भवन में चातुर्मास के बाद आचार्य गुरुवर सुनीलसागर जी महाराज की सुयोग्य शिष्याएं आर्यिका सुदृढ़मति माताजी, आर्यिका सुस्वरमति माताजी व आर्यिका संयतमति माताजी ने बुधवार दोपहर 3 बजे डेह की ओर पद विहार किया | विहार का अर्थ है प्रस्थान करना ।
इस दौरान श्रावक व श्राविकाओं ने उन्हें नम आंखों के साथ विदा किया, विदाई की घड़ी में कई महिलाओँ कि आँखों से बही अश्रुधारा । विहार के अवसर पर उन्हें अहिंसा रैली के साथ ‘भगवान महावीर की जय', 'माताजी हमको भूल न जाना, लौट के वापस जल्दी आना' जैसे नारे लगाते हुए समाजजन पद विहार यात्रा में शामिल हुए । नगर के सभी जैन मन्दिरों के दर्शन करवाते हुए शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए डेह रोड़ तक छोड़ने समाज के पुरुष, महिलायें व बच्चे साथ रहे |
विदाई से पूर्व भवन में दोपहर 2 बजे से मंगल भावना समारोह आयोजित किया गया । समारोह में प्रवचन देते हुए आर्यिका सुदृढ़मति माताजी ने कहा नागिना नगरी सही में धार्मिक नगरी है बुजुर्ग ही नहीं यहाँ की युवा पीढ़ी भी संसकारवान है | आपने चातुर्मास में जो पढ़ा व सूना है उस पर मनन करते रहें | धर्म मार्ग पर आगे बढ़ते रहें | मुनिसंघ कमेटी के सचिव महेन्द्र पहाड़िया ने आर्यिका संघ से यहाँ प्रवास के दौरान अगर कोई त्रुटी हुई हो तो पुरे समाज की और से छमा याचना करते हुए कहा की चातुर्मास के बाद संत व साध्वियां आठ माह तक विहार कर गांव-गांव में धर्म का उपदेश देते है । एक ही स्थान पर रहने से वहां के लोगों से लगाव हो सकता है, इस कारण संत व साध्वियां विहार करते है । इससे धर्म का भी प्रचार होता है । विहार, जगत के प्रत्येक जीव के कल्याण की भावना को लेकर होता है। स्वयं का मंगल तो सभी चाहते हैं, पर संत सारे जगत का मंगल चाहते है। मंच संचालन मुकेश बड़जात्या ने किया | समारोह में गोपाल बड़जात्या, सनत कानुगो, सोहनलाल बड़जात्या, हुलाश बाकलीवाल, ओमप्रकाश सबलावत, नरेश कासलीवाल, ओमप्रकाश पाटनी, निर्मल पाटनी, निर्मल बाकलीवाल, अशोक पाटनी सहित समाज की महिलायें व बच्चे उपस्थित रहे |