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जाल का पौधा लगाकर मनाया देव जसनाथजी का अवतरण दिवस

 जाल का पौधा लगाकर मनाया देव जसनाथजी का अवतरण दिवस


निकटवर्ती ग्राम सींगड़ में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पंचवटी लगाकर गुरु देव जसनाथजी का 541 वाँ अवतरण दिवस मनाया।
पर्यावरण मित्र सिद्ध शिव नाथ ने बताया कि विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक गोपीचन्द सांखला ने नन्हे बालकों के साथ जाल, अनार, आँवला जैसे फलदार पोधों की पंचवटी लगाकर गुरु जसनाथजी के पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा दी।
सिद्ध शिव नाथ ने बताया कि संवत1539 में देवउठनी एकादशी पर मरु क्षेत्र के जांगल प्रदेश में उतमदेशर रोही में डाबला तालाब में जसनाथजी का अवतार हुआ।गुरु जसनाथजी का  उद्भव सिकंदर लोदी के समकालीन हुआ था उस समय समाज में  कर्मकांड चर्म सीमा पर था  व चारों तरफ पर्यावरण को नुकसान हो रहा था।गुरुदेव ने बिगड़ते पर्यावरण संतुलन पर चिंता जाहिर करते हुए हमें पेड़ लगाने व वन्य जीवों की रक्षा का संदेश दिया।

गुरुदेव ने  वेदों, उपनिषदों का ज्ञान सरल रूप में 36 नियम प्रतिपादित कर दिया जिससे पर्यावरण संरक्षण, नशामुक्त समाज की स्थापना हो सके।गुरुदेव ने अपने नियमों में जीव रक्षा, उत्तम कर्म, हवन, नारी सम्मान,आय का बीसवाँ हिस्सा दान करने व तामसिक खान-पान से परहेज रखने जैसी बातों पर जोर दिया।गुरुदेव जसनाथजी मध्यकाल के ऐसे पहले पर्यावरण चिंतक थे जिन्होंने ना केवल उपदेश दिया बल्कि अपने हाथों से जाल का पौधा भी लगाया।
प्रधानाचार्य खेत सिंह सिसोदिया ने बालकों को पर्यावरण संरक्षण करके धरती माँ को बचाने व नशे से दूर रहकर समाज उद्धार की प्रेरणा दी।नन्हे बालकों ने पौधरोपण में हिस्सा लिया।

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