हिरण रक्षार्थ के लिए शहादत देने वाले अमर वीर शहीद हुकमाराम खोजा की 40 वीं पुण्य तिथि मनाई गई
गुढाभगवानदास हाल निवास खड़काली पंचायत के एक साधारण किसान श्री किस्तुराराम खोजा के तीन पुत्र रूगनाथराम, हुक्माराम,बुधाराम व दो पुत्रियां बुग्गी देवी तीजा देवी जिसमें हुक्माराम का जन्म सन् 1946 वि.सं.2003 कार्तिक बदी 4 को हुआ था उनकी माताजी तुलसी देवी । पिताजी खेती बाड़ी का काम करते थे ओर माताजी गृहणी का काम करती थी धीरे धीरे समय के साथ साथ में हुक्माराम जी बड़े होते गये ओर अपने पिताजी के साथ खेती बाड़ी के काम करने लगे थे हुक्माराम जी 21वर्ष की आयु शादी हो गई थी जिनके धर्मपत्नी का नाम सुरजा देवी व एक पुत्र अन्नाराम तीन पुत्रियां पदमा,ज्यानी व कमला ! हुक्माराम जी बहुत महेनती, बलवान,निडर,कर्मठ वीर जवान थे उनकी अपने गांव व आसपास के गांवों में विशेष पहचान खेती बाड़ी के काम धंधे में हर किसी के निस्वार्थ भाव हर किसी के सहयोग करना व खेती बाड़ी के धंधे में किसी खेत में सामूहिक 100-125 लोगों के काम करने में उनकी सबसे अलग पहचान रहती थी सामूहिक राम बण के काम करना उनकी खास पहचान व विशेषता थी व अन्य किसी भी सार्वजनिक कार्यों में बढ चढकर भाग लेते थे इसी के चलते सन् 1982 में ऊंटों पर सवार होकर आये कालड़ी डेरवा व खड़काली सीमा में बनवावरी समाज के कुछ लोगों के द्वारा उनकी बंदूकों की गोलियों से हिरण शिकार के लिए आवाजें गुजनें लगी थी जिससे वो बनवावरी समाज के लोग वन्य जीव प्राणियों की हत्या कर रहे थे तब यह आवाज सुनकर हुक्माराम जी पुत्र श्री किस्तुरारामजी खोजा , रूपारामजी पुत्र खुमाराम जी खोजा, हीरारामजी पुत्र श्री नवलाराम खोजा,मोडारामजी पुत्र श्री भैराराम खोजा ,श्री रिड़मलराम/ लिखारामजी खोजा व इनकी अगुवाई में अपने परिवार के आठ दस पुरूष व चार पांच महिलाओं ने संगठित होकर जीव हत्यारे बनबावरी समाज के लोगों का पीछा शुरू कर दिया व एक डेढ किलोमीटर तक इनके चले जीव रक्षकों के पास कोई हत्थार नहीं उनका संगठन एकता ही उनकी ताकत हौसला शूरवीरता थी। इस तरह खड़काली व डेरवा की सीमा पर बनबावरी समाज के लोगों का आमना सामना वन्य जीवरक्षा करने वाले लोगों के साथ हुआ था। जिसमें बनबावरी समाज यानी वन्य जीव हत्यारों की बंदूक की गोली के सामने अपनी भरी जवानी 36 वर्ष की आयु के हुक्माराम खोजा ने निडरता वीरता साहस का परिचय देते हुए जीव रक्षा परमो धर्म मानते हुए ।
" परहित सरिस धर्म नहिं भाई ।
पर पीड़ा सम नहिं अघमाई।।"
इस तरह की निस्वार्थ भावना के साथ में वन्य जीव प्राणी हिरणों की रक्षा के लिए हस्तें हस्तें अपनें प्राणों की आहुति शहादत खड़काली डेरवा की सीमा पर दिनांक 7 अक्टूम्बर 1982, कार्तिक कृष्ण पक्ष (बदी)चतुर्थी वि.सं.2039 के दिन दूश्मनों के छक्के छोड़ाते हुए वीर गति प्राप्त हो गये थे। "जननी जने तो ऐसा जने ,के दाता के सूर ! नहीं तो रहीजे बांझड़ी ,मत गंवाई जे नूर !!"
फिर इस घटनाक्रम का हीराराम जी/ नवलाराम जी खोजा की तरफ श्रीबालाजी थाना में मुक़दमा दर्ज करवाया गया था मुकदमा नंबर 44 ,पुलिस थाना श्रीबालाजी में धारा 302 व अन्य धाराओं के तहत तहत कार्यवाही शुरू हुई थी जिसमें साक्षी गवाही(चशमेदीद ) में हीराराम खोजा व मोडाराम खोजा रहे थे लेकिन हीराराम व मोडाराम खोजा की साक्षी गवाही देने पर इस घटनाक्रम के एक साल बाद में फिर वो जीव हत्यारे बनबावरी समाज के 8-10 लोग ऊंटों पर सवार होकर इस घटनास्थल पर आकर खोजा परिवार को ललकारा ओर हीराराम व मोडाराम खोजा को गवाही नहीं देने का बोला यदि ग्वाही दे दी तो जान से मारने की धमकी भी दी गई तब खोजा परिवार से एकजुटता की अगुवाई में अन्य समाज के लोगों ने साथ दिया ओर वन्य जीव हत्यारे लोग का सामना किया तो वो जीव हत्यारे बनवावरी समाज के लोग वहां से भाग निकले जिसका पीछा 30-35 किलोमीटर तक वन्य जीवों की रक्षा करने वाले लोगों ने किया था। इसके बाद में अपने आसपास के ईलाकों में वन्य जीव प्राणी अपने आप सुरक्षित महसुस कर रहे है। ओर खोजा परिवार पुरी हिम्मत के साथ यह कानूनी लडा़ई लड़ी जिसके बदौलत कानूनी कार्रवाई के तहत रमैया/जगदीया जांगलियां बावरी को आजीवन कारावास हुई थी। इसलिए हमारा धर्म व संस्कृति व संस्कार हमें हमेशा "जीव रक्षा परमों धर्म " भावना की प्रेरणा (शिक्षा) देता हैं जिससे हम सबका दायित्व बनता है कि जीव वन्य प्राणीयों की सदैव रक्षा करनी चाहिए ।
इस तरह के शूरवीरता का परिचय देने वाले वन्य जीव हिरण रक्षार्थ के लिए अपने प्राणों आहुति (शहादत) देने वाले महान् शूरवीर श्रीमान हुक्माराम जी खोजा खड़काली की 13 अक्टूबर 2022 कार्तिक बदी चौथ के दिन सांय 5 बजे उनके निवास स्थान पर मनाई पुण्य तिथि मनाई गई । इस पुण्य तिथि के अवसर पर खोजा परिवार के पुरूष महीलाऐं 100-125 लोग एकत्रित हुए व इस मौके पर वन्य जीव प्राणी व पर्यावरण प्रेमी पद्मश्री हिम्मताराम भांभू साहब भी पधारे सभी ने मिलकर शहीद को श्रृद्धांजलि दी व माला व पुष्प अर्पित किये ओर पांच मिनट का मौन रखकर शहीद को याद किया । इसके बाद में पद्म श्री ने हिरण रक्षार्थ शहीद हुक्माराम खोजा शहीद स्मारक बनाने का आग्रह किया तो शहीद के परिवार ने शहिद स्मारक के सवा दो बिगा जमीन दान करने घोषणा की ओर खोजा परिवार के लोगों ने बोला कि खोजा परिवार हमसब मिलकर जनसहयोग से जल्द ही शहिद स्मारक बनाकर मूर्ति लगाने ने का काम पुर्ण ही जल्द करेंगे। ओर पद्म श्री से खोजा परिवार ने शहिद को शौर्य चक्र वीरता से सम्मानित व शहिद के परिवार को आर्थिक पैकेज दिलवानी की भी मांग रखी थी।।
इस पुण्य तिथि के अवसर पर पद्म श्री हिम्ताराम भाम्बू ,शहिद के भाई रूगनाथराम, बुधाराम खोजा व शहिद के बहीनें तीजा देवी, बुगी देवी व शहीद की पुत्रियां पदमा, ज्यानी,कमला व शहीद के पुत्रवधु भंवरी देवी,पौतियां हस्तु ,मोहनी,बाली,मंजू शहिद के भतीजे भतिजियां व खोजा परिवार से मोटाराम, ऊदाराम, हीराराम,भोमाराम (उप सरपंच प्रति खड़काली) ,राजूराम (भूतपूर्व फौजी),साजनराम,तिलाराम,देवाराम (श्री सवाई जी महाराज की धाम खड़काली के पुजारी),ठाकरराम, लालाराम,रिड़मलराम,जेठाराम,सियाराम,किसनाराम,पाबूराम,गोरधनराम, हरिराम,भूराराम(राज. पुलिस) व (एल आईसी) व धनराज (व्याख्याता ) ,फुसाराम कस्वां,गोपालराम जांदू इसके अलावा भी खोजा परिवार अनेक महानुभाव उपस्थित रहे थे।