चिरंजीवी से उदय हुआ शकीना के जीवन में खुशियों का नया सूर्य
बासनी बेहलिमा की दो साल की नन्हीं-मुन्नी बालिका का कॉक्लियर इंप्लाट, अब अच्छे से सुन सकेगी
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत हुआ 10लाख के खर्च का कैशलेस ऑपरेशन
नागौर, 27 अक्टूबर।
बासनी बेहलिमा, नागौर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक बड़ा गांव, कस्बां, जहां रहने वाले रजब अली के घर में दो साल पहले किलकारी गूंजी। बेटी का जन्म हुआ, परिवार में जष्न की खबर।
जन्म के कुछ दिन बाद इस नवजात बच्ची का नाम रखा गया शकीना। गोल-मटोल नन्हीं-मुन्नीं के चेहरे पर कभी मुस्कान तो कभी किलकारी की मुद्रा देख मां उसे निहारती लेकिन यहीं उसका यही सुकुन चिंता में तब्दील हो गया जब उसे पता चला कि शकीना को किसी भी प्रकार की बाहरी आवाज का आभास नहीं हो रहा।
मां के यह बात पिता को बताई तो रजब अली ने भी यही महसूस किया। कान के पास ताली बजाने, पुकारने, तेज आवाज में टीवी चलाने और ध्वनि गूंजने तक पर भी शकीना का ध्यान नहीं भटकता। ऐसी पर परिस्थिति में रजब अली ने अपनी बेटी को अपने गांव के राजकीय अस्पताल में चिकित्सकों को दिखाया तो उन्होंने बताया कि उनकी नन्हीं-मुन्नीं सुन नहीं सकती यानी वह कंजेनिटल डीफनेस यानि जन्मजात बेहरापन की बीमारी की ग्रसित है। इस बीमारी के उपचार के लिए बड़ा खर्च होने की स्थिति में रजब अली और उसका परिवार अपनी बेटी के आगामी स्वास्थ्य और आगामी भविष्य को लेकर चिंता में पड़ गए।
उम्र में थोड़ा बड़ा होने पर शकीना को गांव के आंगनबाड़ी केन्द्र में दाखिला दिला दिया। फिर एक दिन शकीना के जीवन में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आरबीएसके का चिकित्सकीय दल नया सवेरा लेकर आया। जिला आरबीएसके कॉर्डनेटर डॉ. शुभकरण धोलिया ने बताया कि बासनी बेहलिमा गांव के आंगनबाड़ी केन्द्र में ब्लॉक नागौर के चिकित्कीय दल में शामिल डॉ. कैलाष चौधरी व डॉ. सुमन खोखर ने शकीना की जांच की और उसे उच्च स्तरीय जांच एवं उपचार के लिए जोधपुर के मथुरादास माथुर राजकीय अस्पताल में रैफर कर दिया।
यहां मथुरादास माथुर राजकीय अस्तपाल जोधपुर में शकीना को भर्ती कर लिया गया और उसका चिरंजीवी योजना में पंजीयन होने के कारण कैशलेस उपचार शुरू कर दिया गया। प्राथमिक जांचों जैसे सीटी स्कैन, ऑडियोमेट्री टेस्ट व बेरा टेस्ट और उसकी रिपोर्ट आने के विषेषज्ञ चिकित्सकों ने शकीना के कॉक्लियर इंप्लांट की तैयारी शुरू कर दी और आखिरकार 12 अक्टूबर 2022 को उसका सफल ऑपरेषन किया गया। कॉक्लियर मशीन की कीमत 10 लाख रूपए होने के बावजूद भी चिरंजीवी योजना में पंजीकृत होने के कारण रजब अली की लाडली बेटी का कॉक्लियर इंप्लांट ऑपरेशन कैशलेस किया गया। कॉक्लियर इंप्लांट के बाद अब दो साल की नन्हीं-मुन्नी शकीना सुनने के साथ बोल भी सकेगी।
ये होता है कॉक्लियर इंप्लांट
कॉक्लियर इंप्लांट एक छोटी सी इलेक्ट्रानिक डिवाइस है, जिसके भीतरी और बाहरी दोनों भाग होते है। यह डिवाइस सुनने के लिए कॉक्लियर नर्व को आवाज समझने के लिए प्रेरित करती है। कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी बेहत्तर सुनने में मदद करती है।
संजीवनी है चिरंजीवी
राजस्थान सरकार की यह जन स्वास्थ्य कल्याणकारी मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना आमजन के लिए संजीवनी साबित हो रही है। इस योजना के तहत नन्हें-मुन्नें बच्चों को भी जन्मजात बीमारियों के का कैषलेस उपचार मिल रहा है। शकीना का कॉकिल्यर इंप्लांट ऑपरेशन जिस पर 10 लाख रूपए तक का खर्च आता है, वो इस योजना में पंजीकृत होने के कारण ही कैशलेस होना संभव हुआ है। नागौर की इस नन्हीं-मुन्नी बेटी को निरोगी जीवन की मंगलकामनाएं।