*अच्छे दिन आएँगे* ने देश की तकदीर बदल दी
लेखक के एक वाक्य *अच्छे दिन आएँगे* ने देश की तकदीर बदल दी जो लिखता है,वह लेखक होता है।लेखक का महत्व कभी कम नहीं होता है।समाज लेखक को हल्के में ना लें ।चार सौ साल पहले की घटना किसी को याद हो या ना हो मगर मीरा सबको याद है।इसलिए लेखक अमर होता है।लेखक जिसकी छवि बिगाड़ देता है ,उसको उठने में बड़ा जोर आता है।लेखक का एक वाक्य *अच्छे दिन आएँगे* ने देश की तकदीर और तस्वीर बदल दी।उक्त विचार यहाँ के रूपम साहित्य एवं शिक्षा संस्थान मूंडवा और नेहरु युवा केन्द्र, नागौर के तत्वावधान में आयोजित साहित्यिक कार्यशाला *आओ लेखक बनें* में बतौर मुख्य वक्ता और मुख्य अतिथि प्रो रामबक्ष जाट ने व्यक्त किये।
प्रो.जाट ने अपने संवाद में विभिन्न प्रश्नों के जवाब देते हुए लेखक बनने के सूत्रों के रूप में डायरी लेखन,भावात्मक डायरी लेखन,संपादकीय पठन, विभिन्न लेखकों का अध्ययन, अपने अनुभवों का लेखन,कल्पना के साथ विचारों का लेखन,सुबह की उदासी का लेखन और परकाया प्रवेश की कीमिया से चरित्र निर्माण करके *अगर मैं ऐसा होता* जैसे विषयों पर सतत अभ्यास करते रहने से लेखन में परिपक्वता स्वतः ही आना बताकर विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को जगाया।
तथ्य,भाव और विचारों की त्रिवेणी को सोदाहरण समझाया गया।विद्यार्थी सुनीता, सोनु,कौशल्या, लोकेश मुंडेल और शिक्षक कंवरीलाल जेठू के साथ-साथ दर्जनों विद्यार्थियों ने लेखन से संबंधित प्रश्न किये।नेहरू युवा केन्द्र के श्याम फिडौदा, कैलाश पुरी, रहमान देवडा, रजनी कस्वां, राकेश चौधरी, डॉ राजकुमार अधिकारी, साहित्य प्रेमी दीपक बडौला, हनुमान सोनी, कपिलदेव व्यास, व्याख्याता रामप्रसाद, विशाल रामावत, नटराज शर्मा, प्रियंका, गोपाल शर्मा, महावीर सिंह, अमित गुप्ता, अशोक मेहरा और भीकम त्रिपाठी सहित साहित्यिक रुचि वाले विद्यार्थी उपस्थिति रहे।कंवरीलाल जेठू ने इस साहित्यिक गोष्ठी को मूंडवा क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए नवाचार बताते हुए आगन्तुकों का आभार ज्ञापित किया।