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आयोग ने एचसीएल इंफोसिस्टम पर लगाया एक लाख का जुर्माना, करार की राशि भी देने का आदेश


 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का निर्णय। करार के अनुसार सुविधाएं न देना सेवा में कमी। आयोग ने एचसीएल इंफोसिस्टम पर लगाया एक लाख का जुर्माना। करार की राशि भी देने का आदेश। करार किया है तो देनी थी डिजिटल क्लास सुविधा भी-आयोग। विपक्षी की आपतियां खारिज।
नागौर, 2 अगस्त 2022। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में करार के अनुसार डिजिटल क्लास की सुविधाएं नहीं देने पर एचसीएल इंफोसिस्टम पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया है। मामले के अनुसार मेड़तासिटी स्थित ब्राइट सीनियर सैकण्डरी स्कूल के प्रधानाचार्य की ओर से आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर बताया गया कि एचसीएल इंफोसिस्टम की ओर से उनकी स्कूल में डिजिटल क्लास के तहत संपूर्ण सुविधाएं तथा हार्डवेयर इत्यादि उपलब्ध कराने के लिए करार किया गया मगर बाद में करार अनुसार सुविधाएं नहीं दी गई। बार बार शिकायत पर भी ध्यान नहीं दिया गया। इसके चलते उनकी स्कूल के विद्यार्थियों को पढाई का नुकसान होने लगा तथा स्कूल की साख घटने लगी। इस मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष डॉ श्यामसुंदर लाटा, सदस्य बलवीर खुडखुडिया व चन्द्रकला व्यास की न्यायपीठ ने कहा कि विपक्षी एचसीएल इंफोसिस्टम की सेवाएं त्रुटिपूर्ण एवं दोषपूर्ण होने के चलते स्कूल को नुकसान हुआ है तथा  विपक्षी द्वारा अपने सिस्टम से सम्बन्धित सामग्री प्राप्त कर लिए जाने के बावजूद स्कूल को राशि का पुनः भुगतान नहीं किया। आयोग ने इस मामले में एचसीएल इंफोसिस्टम की सेवाओं में त्रुटि व कमी मानते हुए उसे परिवादी स्कूल को करार राशि एक लाख बावन हजार दो सौ पचास रूपये परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक नौ प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज सहित दो माह की अवधि में भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही आयोग ने विपक्षी को उनकी सेवाओं में कमी के चलते परिवादी को हुई आर्थिक क्षति के रूप में एक लाख रूपये भी अदा करने का आदेश दिया है। परिवाद व्यय के रूप में भी पांच हजार रूपये की राशि एचसीएल इंफोसिस्टम द्वारा परिवादी स्कूल को अदा की जाएगी। *आयोग ने विपक्षी की आपति को किया खारिज* आयोग के समक्ष विपक्षी ने उक्त प्रकरण में आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं होने तथा परिवादी उपभोक्ता नहीं होने की आपति की मगर आयोग ने विपक्षी के उक्त तर्क को खारिज करते हुए व्यवस्था दी कि परिवादी शिक्षण संस्थान होने के साथ साथ इसका संचालन सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत किया जाता है जिसमें मुख्य शर्त बिना किसी लाभ के संचालन की होती है। ऐसे में यह नहीं माना जा सकता कि विद्यालय संचालन में सोसायटी द्वारा कोई लाभ प्राप्त किया जा रहा हो तथा स्कूल का संचालन वाणिज्य प्रयोजन से हो।

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