सम्यक दर्शन प्राप्त होने पर मोक्ष मिलता है - स्वाध्यायी बहन सोनल डूंगरवाल
परमात्मा महावीर के निर्वाण के 980 वर्ष बाद आनन्दपूर के राजा धुवसेन के पुत्र शोक में डूबने पर गुरु महाराज द्वारा राजा व श्री संध के सम्मुख कल्प सूत्र का सर्वप्रथम वाचन किया।
महामंगलमय पर्यूषण पर्व श्री संध के समक्ष भद्र बाहु रचित कल्प सूत्र का वाचन करने का विधान है।
स्वाध्यायी बहन सोनल डूंगरवाल ने बताया इस श्रेष्ठतम सूत्र का जागृत तन मन से श्रवण करने से व्यक्ति को बाहरी और आंतरिक सम्पति प्राप्त होती है।
बहन दिव्या बोथरा ने कहा खास साधना से आत्मा को परमात्मा में बदला जा सकता है। जिस प्रकार सब पर्वतो में सुमेरु पर्वत ,नदियों में गंगा नदी ,व्रतो में सत्य व्रत ,दानो में अभय दान ,तपो र्में ब्रह्मचर्य तप श्रेष्ठ है। उसी प्रकार पर्यूषण पर्व आने पर साधक का मन नाच उठता है। चार्तुमास का ह्रदय पर्यूषण पर्व हैं। यह पर्व आत्म शुद्वि का पर्व हैं।
कल्प सूत्र में 9 वाचना बताई हैं। 1, नवकार मंत्र की महिमा के साथ ही भगवान महावीर के 27 भवो के बारे में चर्चा की। इस भव में मनुष्य जीवन मिला हैं। आत्मा को मानने वाले उपासक ज्ञानी हैे। और जो शरीर को सजाते संवारते हैं ,वे अज्ञानी है। पर्यूषण अपने भीतर अंतर भावो को खोजने का अवसर प्रदान करता हैं। जैन धर्म कहता है ,कि जहां भी रहे ,जो भी करे ,अपने स्वरुप को समझ कर करें। शरीर व इन्द्रियों के बीच रह कर भी उनके दास नहीं स्वामी बनकर रहें।
भास्कर खजान्ची ने बताया कि रविवार को काली पोल स्थित कनक अराधना भवन में सुबह 9 बजे कल्प सूत्र का वाचन होगा। उसके बाद प्रभु महावीर स्वामी का जन्म महोत्सव धुम धाम से मनाया जाएगा। 14 स्वप्नो व भगवान को पालने में झुलाने और ले जाने की बोलियां होगी। इसके बाद स्वामी वात्सल्य का आयोजन होगा।