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विद्युत निगम मनमाने तरीके से उपभोक्ताओं के विद्युत कनेक्शन पर लोड नहीं बढा सकता

 उपभोक्ता आयोग ने कहा विद्युत निगम मनमाने तरीके से नहीं बढायें लोड, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के निर्णय, दो अलग-अलग मामलों में विद्युत निगम को माना दोषी, लगाया जुर्माना, नाजायज रूप से लोड बढाकर निगम कर रहा उपभोक्ताओं को परेशान, आयोग ने कहा विद्युत निगम का उक्त कृत्य विधि विरूद्ध एवं त्रुटिपूर्ण, आयोग ने कहा मनमाने तरीके से निगम नहीं बढा सकता लोड।।                                                                                                                            नागौर 31 जुलाई 2022। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने अपने निर्णयों में कहा कि विद्युत निगम मनमाने तरीके से उपभोक्ताओं के विद्युत कनेक्शन पर लोड नहीं बढा सकता


। निगम की ओर से एरिया अनुसार स्वत: लोड बढाया जाना पूर्णत: गलत है। आयोग ने ऐसे दो अलग-अलग मामलों में स्वत: लोड बढाये जाने पर विद्युत वितरण निगम को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए निगम पर जुर्माना लगाया है। मामले के अनुसार मूण्डी, तहसील जायल निवासी भूराराम ने आयोग के समक्ष परिवाद पेश कर बताया कि अजमेर विद्युत वितरण निगम ने उसके कृषि कनेक्शन पर मनमाने तरीके से लोड बढाकर बढे लोड के अनुसार फ्लेट रेट से बिल जारी करने शुरू कर दिए। इस पर उसने लोड जांचने के लिए निगम में आवेदन किया तो जांच में लोड कम  पाए जाने के बावजूद निगम ने लोड कम करने की बजाय उस पर ही मोटर पंप बदलकर जांच कराने सम्बन्धी झूंठे आरोप गढने शुरू कर दिये। इस तरह मौके पर कम लोड के बावजद निगम उसे मनमाने तरीके से लोड बढाकर बिल जारी करता रहा। आयोग के अध्यक्ष डॉ श्यामसुंदर लाटा, सदस्य बलवीर खुड़खुड़िया व चंद्रकला व्यास की न्याय पीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय में कहा कि विद्युत निगम ने उपभोक्ता के यहां लोड बढाने सम्बन्धी कोई विधिवत प्रक्रिया नहीं अपनाई बल्कि आयोग के समक्ष एक ऐसी सूची पेश की जिसे किसी भी तरह से जांच रिपोर्ट भी नहीं माना जा सकता। आयोग ने विद्युत निगम के उक्त कृत्य को पूर्णतया नाजायज एवं त्रुटिपूर्ण मानते हुए उपभोक्ता के जुलाई 2012 के बिल में अंकित वास्तविक लोड के अनुसार ही संशोधित बिल जारी कर राशि वसूलने तथा यदि मनमाने तरीके से बढाये गये लोड से कोई राशि वसूल की गई है तो उसे समायोजित करने के साथ-साथ उपभोक्ता को हुई शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति तथा परिवाद व्यय के निमित्त दस हजार रूपये की राशि अदा करने का आदेश दिया। इसी प्रकार उपभोक्ता आयोग ने उबासी, तहसील जायल निवासी गोविंद दास के मामले में नाजायज रूप से लोड बढाकर बिल भेजने के मामले में भी विद्युत निगम को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी मानते हुए निगम पर दस हजार रूपये का जुर्माना लगाया है।
*एरिया के अनुसार नहीं बढा सकते लोड* सुनवाई के दौरान उपभोक्ता आयोग के समक्ष विद्युत निगम ने उपभोक्ताओं की एक सूची प्रस्तुत की तथा बताया कि एरिया के अनुसार लोड बढाने की यह सूची है। उक्त सूची में उपभोक्ताओं के नाम तथा टोटल लोड के कॉलम में अलग अलग लोड अंकित किया गया जबकि यह सूची किसने, किस तथ्य से, किस दिनांक को और किस उद्देश्य से बनाई गई ऐसा कुछ नहीं बताया गया। आयोग ने इस सूची को कोई जांच रिपोर्ट नहीं माना तथा कहा कि इस तरह सूची बनाकर एरिया के अनुसार लोड बढाकर राशि वसूलना विधि विरूद्ध है। *यह होना चाहिए* आयोग ने कहा कि निगम को चाहिए कि विद्युत नियम व शर्तों के अनुसार स्वीकृत लोड कम या अधिक किये जाने से पूर्व उपभोक्ता को नोटिस व सुनवाई का अवसर देने के साथ साथ विधिवत् जांच उपभोक्ता के समक्ष करनी चाहिए और जांच रिपोर्ट उपभोक्ता को दी जानी चाहिए जबकि विद्युत निगम द्वारा ऐसी कोई प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है तथा लोड बढाने सम्बन्धी मनमाने निष्कर्ष पारित किये जा रहे हैं। जो विधि विरुद्ध, मनमाने व नाजायज हैं। *चण्डीगढ़ आयोग का हवाला* आयोग ने अपने निर्णय में चण्डीगढ़ राज्य आयोग के मैसर्स रोबिनसन स्पोर्ट्स बनाम पंजाब विद्युत मण्डल के  निर्णय की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया कि उक्त न्यायिक दृष्टांत के दृष्टिगत यदि विद्युत निगम उपभोक्ता को नोटिस दिये बगैर लोड बढाकर अधिक राशि वसूलता है तो यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरित है। निगम को ऐसे मामलों में उपभोक्ता़ओं को पूर्व नोटिस देकर संपूर्ण विधिवत् प्रक्रिया अपनानी चाहिए।

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